Tuesday, January 13, 2009

आदर्श प्रेम

प्यार किसी को करना लेकिन,
कह कर उसे बताना क्या
अपने को अर्पण करना पर,
और को अपनाना क्या


गुण का ग्राहक बनना लेकिन,
गा कर उसे सुनाना क्या
मन के कल्पित भावो से,
औरो को भ्रम में लाना क्या


ले लेना सुगंध सुमनो की,
तोड उन्हे मुरझाना क्या
प्रेम हार पहनाना लेकिन,
प्रेम पाश फैलाना क्या


त्याग अंक में पले प्रेम शिशु,
उनमें स्वार्थ बताना क्या
दे कर हृदय, हृदय पाने की,
आशा व्यर्थ लगाना क्या

-- हरिवंशराय बच्चन

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One of my most favourite हरिवंशराय poem.. !!
Amazing lines --
प्रेम हार पहनाना लेकिन,
प्रेम पाश फैलाना क्या ;)

True classic!!

1 comment:

  1. Sweet words

    त्याग अंक में पले प्रेम शिशु,
    उनमें स्वार्थ बताना क्या
    दे कर हृदय, हृदय पाने की,
    आशा व्यर्थ लगाना क्या

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